दिल तो होगा पर न होगी उसमें जान,
सांसें तो होगी पर न होगा अरमान,
ख़्वाब जो था, अब न होगा वो आशियाँ,
लिख दी है हमनें दास्तानें रुसवाईयां !
सांसें तो होगी पर न होगा अरमान,
ख़्वाब जो था, अब न होगा वो आशियाँ,
लिख दी है हमनें दास्तानें रुसवाईयां !
Posted by Urmi at 10:16 PM
34 comments:
bahut sundar sher..badhai babali ji
सुन्दर!
Bahut,bahut sundar!
Wah! Bahut khoob!
bahot he achha keya dard hai
कुछ खुशनुमा भी करिये .. नई पोस्ट का इंतजार रहेगा.
Hamesha Ki Tarah Lajawab......
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
chand panktiyon me bahut kuch kah dena aapki visheshta hai
क्या बात हैं । बहुत अच्छे शेर ॥
very beautifully written :)
बहुत खूबसूरत .....पंक्तियाँ
इतनी कम पंक्तियों में एक लम्बी दास्ताँ वाह वाह !!!!
आप खाना तो बहुत अच्छा खिलाती है ओर फ़िर ऎसी गजले पढवा कर दिल को उदास कर देती है,बहुत सुंदर लगी आप की यह रुसवाई की दास्तां.... अगली बार कोई खुशियो से भरी, उम्मीद जागाती गजल हो जाये
बहुत अच्छी कविता।
I am impressed.Very nice.Keep up the good work.
bahut khoobsurat ...really touching one...dear
सुन्दर!
शेर और चित्र दोनों से आपने एक दास्ता लिख दी
ख़्वाब जो था पर अब न होगा आशियाँ,
लिख दी है हमनें रुसवाई की दास्तान !
लाजवाब मगर ऐसा कर दें तो ?
लिख दी है हमनें दास्ताने रुसवाईयां
Beautiful Babli. Really good.
wah ji wah...
mazaa aa gaya...
वाह! बेहतरीन!
बेहतरीन पंक्तियाँ लिखी हैं ।
बहुत सुंदर
रामराम.
waah babli ji
sadabahaar andaaz aapka fir mast kar gaya
behtareen post !
सुन्दर भाव,
बेहतरीन कविता!
Bahut sundar. Par bahut dard tha is mein..............
O it was fabulous....
Brilliant work done :)
Regards,
Dimple
बेहतरीन रचना..उम्दा प्रस्तुति....बधाई !!
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''शब्द-सृजन की ओर" पर- गौरैया कहाँ से आयेगी
bahut accha babli ji
apne acchi dastan likhi
लाजवाब है आपकी दास्ताने-रुसवाई ...
क्या बात हैं । बहुत अच्छे शेर ॥
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