अब इस इंतज़ार की आदत सी हो गयी है,
ख़ामोशी की एक चाहत सी हो गयी है,
अब न कोई शिकायत है किसी से,
इस अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गयी है !
ख़ामोशी की एक चाहत सी हो गयी है,
अब न कोई शिकायत है किसी से,
इस अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गयी है !
Posted by Urmi at 12:46 PM
40 comments:
bahut Sunder
आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !
आचार्य जी
Beautiful composition.
bhawpoorn
मोहब्बत सी हो गयी है !
bahut sundar
भावपूर्ण प्रस्तुति...बढ़िया शेर...धन्यवाद बबली जी
कविता अच्छी है लेकिन लड़की के पीछे जो समन्दर है न वह ज्यादा देर तक खामोश रहेगा ऐसा मुझे नहीं लगता।
जब समन्दर में हलचल होगी तो लड़की बोल पड़ेगी।
अच्छी प्रस्तुति!
Badhiyaa.
अकेलेपन से मुहब्बत? - आनन्दम्।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Hi..
Kiske tum intejar main bekal, bedam, besudh rahte ho..
Hamem bata do, kah den unko.., usko bhi to pata chale..
Shabdon main jo, basa hai tere..
Wo bhi aakhir jaane to..
Tere pyaar ko bhi akhir wo..
Dil se apna mane to..
Hame bata den, hum kah denge..
DEEPAK..
माना कि इन्तजार सजा है,
मगर इन्तजार में ही तो मजा है!
जोरदार ,इन सब चौपदियों संकलन छपवायें और हाँ चित्रों सहित :)
बहुत ही सुन्दर
वाह , फोटो से मेल खाता बहुत बढ़िया मुक्तक लिखा है । सुन्दर ।
...बेहतरीन !!!
ये ग़लत बात है..इंतजार का आनंद लो, खामोसी का आवाज सुनने का कोसिस करो, दुनिया को दोस्त बनाओ, अकेलापन दर के भाग जाएगा..अच्छी प्रस्तुति!!
कहना चाहूँगा:::::
कलम की धार के क्या कहने
कोमल विचार के क्या कहने
आप यूं ही अगर लिखती रहें
ब्लॉग संसार के क्या कहने
वाह! क्या बात है! सुन्दर!
सुन्दर रचना. बधाई.
chitra bhi behad akarshak aur sher to bhai lajawaab
बेहद उम्दा !
bahut badhiya.
अब इस इंतज़ार की आदत सी हो गयी है,
ख़ामोशी की एक चाहत सी हो गयी है,......bahut hi pyaaraa dil ko chhu lenevaali rachnaa.
बहुत सुंदर
बहुत खूब...
Your poems are in any case very nice but I am also very impressed with the pictures you post
प्रशंसा उतनी ही हो जितनी सहज ही स्वीकार्य हो जाय तो ठीक नहीं तो बड़ी असहज कर जाती है -
आपने बहुत ज्यादा करके मुझे असहज कर दिया -महान लेखक ? मैं ही मिला था आपको बबली जी ?
बस स्नेह बनाए रखें -
..
अगर मेरा लिखा आपको अच्छा लगता है तो यह वह उस असीम सत्ता की मेहरबानी और हमारे श्रम का सार्थक होना है .
अपना ईमेल दें -
please give your email:
arvind mishra
drarvind3@gmail.com
इस अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गयी है !
आज तो गज़ब ही लिख दिया है...बहुत सुन्दर
This is so beautiful !!Every line is so touching !!I loved this the most !!Unseen Rajasthan
बढिया रचना।
अति सुन्दर ।
bahut sundar
आपकी इस नज्म पर इतना ही कहूंगा
ये कैसी प्रेम की ज्वाला जलाती है जो अतर्मन
मिली मथुरा तो राधा मिल सकी न फिर कभी मोहन
यही है सत्य जीवन का यहां सब कुछ नही मिलता
कभी झूले नही मिलते कभी मिलता नही सावन
bahut hi badhiya
न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गयीं
bahut khub!
बहुत ख़ूब बबली जी।
ज़िंदगी को हादसों की आदत सी हो गई थी
हल्की सी इक आह ने दिल को हिला दिया
wah wah.....
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