Wednesday, June 2, 2010


अब इस इंतज़ार की आदत सी हो गयी है,
ख़ामोशी की एक चाहत सी हो गयी है,
अब
कोई शिकायत है किसी से,
इस अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गयी है !

40 comments:

M VERMA said...

bahut Sunder

आचार्य उदय said...

आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !

आचार्य जी

Sadhana Vaid said...

Beautiful composition.

रश्मि प्रभा... said...

bhawpoorn

Shekhar Kumawat said...

मोहब्बत सी हो गयी है !

bahut sundar

विनोद कुमार पांडेय said...

भावपूर्ण प्रस्तुति...बढ़िया शेर...धन्यवाद बबली जी

राजकुमार सोनी said...

कविता अच्छी है लेकिन लड़की के पीछे जो समन्दर है न वह ज्यादा देर तक खामोश रहेगा ऐसा मुझे नहीं लगता।
जब समन्दर में हलचल होगी तो लड़की बोल पड़ेगी।

मनोज कुमार said...

अच्छी प्रस्तुति!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Badhiyaa.

श्यामल सुमन said...

अकेलेपन से मुहब्बत? - आनन्दम्।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Deepak Shukla said...

Hi..

Kiske tum intejar main bekal, bedam, besudh rahte ho..
Hamem bata do, kah den unko.., usko bhi to pata chale..

Shabdon main jo, basa hai tere..
Wo bhi aakhir jaane to..
Tere pyaar ko bhi akhir wo..
Dil se apna mane to..

Hame bata den, hum kah denge..

DEEPAK..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

माना कि इन्तजार सजा है,
मगर इन्तजार में ही तो मजा है!

Arvind Mishra said...

जोरदार ,इन सब चौपदियों संकलन छपवायें और हाँ चित्रों सहित :)

एक बेहद साधारण पाठक said...

बहुत ही सुन्‍दर

डॉ टी एस दराल said...

वाह , फोटो से मेल खाता बहुत बढ़िया मुक्तक लिखा है । सुन्दर ।

कडुवासच said...

...बेहतरीन !!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

ये ग़लत बात है..इंतजार का आनंद लो, खामोसी का आवाज सुनने का कोसिस करो, दुनिया को दोस्त बनाओ, अकेलापन दर के भाग जाएगा..अच्छी प्रस्तुति!!

Anonymous said...

कहना चाहूँगा:::::

कलम की धार के क्या कहने
कोमल विचार के क्या कहने
आप यूं ही अगर लिखती रहें
ब्लॉग संसार के क्या कहने

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है! सुन्दर!

KK Yadav said...

सुन्दर रचना. बधाई.

दिलीप said...

chitra bhi behad akarshak aur sher to bhai lajawaab

शिवम् मिश्रा said...

बेहद उम्दा !

vandana gupta said...

bahut badhiya.

arvind said...

अब इस इंतज़ार की आदत सी हो गयी है,
ख़ामोशी की एक चाहत सी हो गयी है,......bahut hi pyaaraa dil ko chhu lenevaali rachnaa.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर

रंजन said...

बहुत खूब...

BK Chowla, said...

Your poems are in any case very nice but I am also very impressed with the pictures you post

Arvind Mishra said...

प्रशंसा उतनी ही हो जितनी सहज ही स्वीकार्य हो जाय तो ठीक नहीं तो बड़ी असहज कर जाती है -
आपने बहुत ज्यादा करके मुझे असहज कर दिया -महान लेखक ? मैं ही मिला था आपको बबली जी ?
बस स्नेह बनाए रखें -
..
अगर मेरा लिखा आपको अच्छा लगता है तो यह वह उस असीम सत्ता की मेहरबानी और हमारे श्रम का सार्थक होना है .
अपना ईमेल दें -

Arvind Mishra said...

please give your email:
arvind mishra
drarvind3@gmail.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इस अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गयी है !

आज तो गज़ब ही लिख दिया है...बहुत सुन्दर

Unseen Rajasthan said...

This is so beautiful !!Every line is so touching !!I loved this the most !!Unseen Rajasthan

अजित गुप्ता का कोना said...

बढिया रचना।

अरुणेश मिश्र said...

अति सुन्दर ।

लोकेन्द्र सिंह said...

bahut sundar

shant shukla said...

आपकी इस नज्म पर इतना ही कहूंगा
ये कैसी प्रेम की ज्वाला जलाती है जो अतर्मन
मिली मथुरा तो राधा मिल सकी न फिर कभी मोहन
यही है सत्य जीवन का यहां सब कुछ नही मिलता
कभी झूले नही मिलते कभी मिलता नही सावन

ज्योति सिंह said...

bahut hi badhiya

रचना दीक्षित said...

न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गयीं

Gartalab said...

bahut khub!

vijaymaudgill said...

बहुत ख़ूब बबली जी।
ज़िंदगी को हादसों की आदत सी हो गई थी
हल्की सी इक आह ने दिल को हिला दिया

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah wah.....