ओस की बूँदें है और आँखों में नमी है,
न ऊपर आसमां है और न नीचे ज़मीन है,
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
न ऊपर आसमां है और न नीचे ज़मीन है,
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
Posted by Urmi at 12:05 AM
41 comments:
...बहुत सुन्दर !!!
how do you write so beautifully.I appreciate you
ओस की बूँदें है और आँखों में नमी है,
न ऊपर आसमां है और न नीचे ज़मीन है,
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
.....bahut sundar....tasvir bhi kaafi khubsurat.
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
....Waah Bahut khub kahi!!
बहुत बढ़िया उर्मी दी ...............मज़ा आ गया आज तो !
खूबसूरत ख्यालात समेटे शेर के लिये बधाई...
मगर
हमारे रहते इस जमी पर आप ने ये सोचा कैसे
नजरे उठा के देखिय वल्लाह किस शय की कमी है
खूबसूरत शेर
सच है ... ख़ास लोग आसानी से नही मिलते .. अगर मिल जाएँ तो बचा कर रखना चाहिए ...
बहुत ही सुन्दर भाव भरे हैं।
ओस की बूँदें है और आँखों में नमी है,
न ऊपर आसमां है औ न नीचे जमीं है,
कैसा मोड़ आया ये ज़िन्दगी का,
ख़ास है जो बस उन्हीं की कमी है !
वाह ! आह भी !
बहुत सुन्दर
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
यही होता है बस खास ही नहीं होते हैं आसपास बाकी भीड़ तो हर समय रहती है
सुन्दर
Kitni sahi baat kah dee...yahi kami har pal mahsoos hoti hai..
अच्छा है |बहुत अच्छा है| वाकई बहुत ही अच्छा है ख़ासलोग की कमी है
वाह !!!!!!!!क्या बात कही है,तभी तो मैं आ गयी हूँ !!!!
I was missing your poem for some time now.
Behad umda!
खास में भी कुछ ज्यादा खास होते हैं ।
अच्छा लिखा है ।
अति सुन्दर ।
जिंदगी में यही होता है,जो प्रिय होते है वो या तो दूर होते है या बिछड़ जाते है...शायद यही ज़िन्दगी का फसाना है....
बहुत खूबसूरत भाव
shukriya ye khubsurat maktak padwane ke liye
निराशा का दमन छोड़ दीजिए!
प्रतीक्षा के पलों के ओढ़ लीजिए!!
सुंदर एहसास भरी प्रस्तुति..धन्यवाद बबली जी
एक पसंद के चटके के साथ..... मैंने कहा था ना... कि बहुत सुंदर रचना है.... भावों को कितनी खूबसूरती से उकेरा है आपने..... देरी हो गई.... सॉरी....
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
-क्या बात है!
बबली बिटिया… बहुत अच्छा …चार लाईन में कमाल की हो... जिन्नगी के हर मोड़ पर मिलने वाला लोग को खास बनाते चलो, कभी खास लोगों का कमी नहीं होगा...
अद्भुत जी, कम शव्दो मै गहरी बात
सही बात है, ज़िन्दगी में खास लोगों की कमी तो रहती ही है।
sunder rachnaa....
बहुत खूबसूरत ...
ये कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,
जो लोग ख़ास है बस उन्हीं की कमी है !
खूबी से कही ये बात
Adbhut!!!
Poetry ki aapki samajh sachmuch bemisaal hai.
लाजवाब करती कविता।
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करे कोई, भरे कोई?
हाजिर है एकदम हलवा पहेली।
वाह क्या कहने। जगजीत सिंह की गाई हुई एक गजल याद आ गई। आज फिर आंख में नमी सी है और उनकी कमी सी है। वाह। बहुत बहुत बधाई।
http://udbhavna.blogspot.com/
bahoot achha romanch bhar deta hai
अति उत्तम ।
sach klaha...bas usi ki kami rah jati hain jindgi me..jane kyon ..par aisa hi hota hain...
चार लाइनो मे बहुत कुछ कह दिया आपने ....
बढिया ....
ati sunder... hamesha ki trh....
बहुत सुंदर.............
very-very behtarin.. with picture...
ek gana hai..tera koi sath na de to tu khud se prit jod le.... khilouna dharti ko kr.. aakash oudh le..
Just wonderful!!!
I loved it...
Regards,
Dimple
bhut kuh kaha hai...
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