Thursday, June 24, 2010


एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यूँ है?
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यूँ है?
उसे पाना नहीं मेरी तक़दीर में शायद,
फिर हर मोड़ पे उसीका इंतज़ार क्यूँ है?

51 comments:

Nivedita Thadani said...

Babliji
Kya baat hai!
Beautiful.

Ajayendra Rajan said...

tumharey gum ki dali uthakar
juban pe rakh li hai dekho maine
ye katra-katra pighal rahi hai
mai katra-katra hi jal raha hoon
- Gulzar

Anonymous said...

आप सचमुच बहुत सुंदर लिखती हैं।
---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर लिखा है।

शिवम् मिश्रा said...

बेहद उम्दा !

दिगम्बर नासवा said...

होता है ऐसा ही जब वो अजनबी ... अपना सो हो जाता है ...

डॉ टी एस दराल said...

उसे पाना नहीं मेरी तक़दीर में शायद,
फिर हर मोड़ पे उसीका इंतज़ार क्यूँ है?
शायद इसी को प्यार कहते हैं । अति सुन्दर ।

kshama said...

Babli, kyonki yahi pyar hai!
Yah painting aapne banayi hai? Behad sundar hai!

sheetal said...

kya kare DIL HAIN KI MANTA NAHIN

BK Chowla, said...

Babli, good to see you back. How was your holiday trip?

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कब आई तुम छुट्टी से… होता है...इंतजार होता है... हर मोड़ पर.. काहे कि गुलज़ार साहब बोले हैं कि इस मोड़ से जाते हैं, कुछ सुस्त कदम रस्ते, कुछ तेज कदम राहें...
बहुत सुंदर!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अरे , आप सब जगह घूम आयीं और इंतज़ार है कि मोड़ पर ही खड़ा है...

सुन्दर अभिव्यक्ति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बस भरोसे में ये दिल वेकरार है अब तक!
हम इन्तजार करेंगे तेरी कयामत तक!!

अजय कुमार said...

दिल की बात ,दिल ही जाने

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

welcome back babli ki...
hamesha ki tarah sundar likha hai!

Arvind Mishra said...

वाह आते ही यह उम्दा पेशकश !

chitra said...

Babli
another beautiful creation.

Haddock said...

Like that accompanying picture.

राज भाटिय़ा said...

अजी मन मै उतर गई आप की यह सुंदर रचना.
धन्यवाद

मनोज भारती said...

सुंदर पंक्तियाँ ...दिल को छू गई

जिंदगी के मोड़ हजार
हर मोड़ पर इंतजार
उस अजनबी का जो
हजारों में प्यारा न्यारा

रश्मि प्रभा... said...

bhawpurn khyaal

Dimple said...

Yehi itne saare "kyun" par hamari zindagi chalti hai...
Pic and these beautiful lines... both are awesome :)

Regards,
Dimple

सदा said...

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां ।

Akhilesh pal blog said...

bahoot khoob

नीरज गोस्वामी said...

मन के कोमल भावों को शब्द दे दिए आपने..वाह...बेजोड़..
नीरज

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत सुन्दर ... यही तो हमेशा का सवाल है ...

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

BABLI JI ..
FIR AK BAR SUNDER PANKITIYAN NIKLI HAI AAP KI KALAM SE ..BADHAYEE

Dr. Tripat Mehta said...

wah wah!!!

dil ki baat ki bahut achi abhivyatki di hai aapne

http://liberalflorence.blogspot.com/
http://sparkledaroma.blogspot.com/

Rohit Singh said...

इतहां हो गई इंतजार की....आई न खबर यार की....आगे अब तक इस गीत को गाया नहीं.......क्यों ..बताने की जरुरत है क्या. या समझ गईं...

पंकज मिश्रा said...

बहुत बड़ा सवाल है। सवाल व्यक्तिगत टाइप का लगता है। जवाब आपको ही खोजना पड़ेगा। माफी चाहूंगा।

खैर मजाक कर रहा था। बहुत खूबसूरत रचना है। कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाने की कला है आप में। मेरी बधाई स्वीकार करें। और इतनी अच्छी रचना पढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद भी।

ज्योति सिंह said...

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यूँ है?
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यूँ है?
उसे पाना नहीं मेरी तक़दीर में शायद,
फिर हर मोड़ पे उसीका इंतज़ार क्यूँ है?
dil pe jor nahi hota isliye hai ye kyun .sundar .

Saiyed Faiz Hasnain said...

tujhe har mod pe uska intezar u hai
tujhe usse pyar jo hai

umda prastooti..............

hem pandey said...

इसी का नाम प्यार है.

अरुणेश मिश्र said...

ढाई आखर का खेल है ।
अन्तश्चेतना की अभिव्यक्ति ।

Pushpendra Singh "Pushp" said...

सटीक शब्दों में उत्तम रचना
आभार

dipayan said...

वाह वाह , क्या खूब । हमेशा की तरह सुन्दर पन्क्तियाँ ।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Bahut achhe!

शरद कोकास said...

बहुत दिनो बाद आया हूँ इसलिये फिलहाल वाह ...

gaurtalab said...

bahut khub..

Randhir Singh Suman said...

nice

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

बबलीजी
कैसे मिज़ाज हैं ?

प्यार में यही तो होता है , कुछ न मिलने की संभावना होते हुए भी सिर्फ़ देते रहने को मन करता है ।
बहुत अच्छा मुक्तक है!
आपके ब्लॉग की एक और ख़ूबी यह है कि चित्र बहुत आकर्षक और रोमांटिक होते हैं ।
आप स्वयं बनाती हैं क्या ?
ऐसे कुछ चित्रों का संग्रह मुझे मेल से भेजिए ना , प्लीज़ !
शस्वरं पर आपका हमेशा हार्दिक स्वागत है …
आपका घर है आया जाया करो
हंस के बोला करो बुलाया करो


अवश्य आइएगा…

शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

इंतजार का ही तो मजा है...खूबसूरत रचना..बधाई.
_________________________
अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.

rajesh singh kshatri said...

बहुत सुन्दर ....

The Straight path said...

बहुत सुंदर

अंजना said...

अति सुंदर रचना.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह! बहुत अच्छी शायरी।

Unknown said...

gud going.....i like it..

Rohit Singh said...

अजनबी अक्सर दिल क्यों चुरा ले जाते हैं। क्यों परदेसियों से दिल लग जाता है। जाने क्यूं इंतजार रहता है। मालूम की आना नहीं उसे। आखिर मासूम दिल इतना प्यार क्यों करता है। क्यों इतनी बड़ी आग में जलता है। जाने क्यूं .....................

Sumandebray said...

bahut badiya ...
Kya baat hai...

waise dekha jaaye to paana na paana ... both are illusions.. not real

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut achchi lagi aapki shayari.
prashanshaniy.
poonam

nilesh mathur said...

बहुत सुन्दर