Monday, July 26, 2010


अकेला लगे जब तन्हाई में,
याद मेरी आए जब जुदाई में,
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में !

53 comments:

arvind said...

tanhaai kaisee jab mere hi kareeb thee.
najro se dur thee par dil se gayee kab thee..........Welcome babliji.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुती!

Abhilash said...

a good one indeed

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत दिनों बाद आमद हुई है ... बेहतरीन प्रस्तुति ...

kshama said...

Bahut dinon baad likha hai,Babli,aur lajawab...no other words...!!

Arvind Mishra said...

देर आयद दुरुस्त आयद

रचना दीक्षित said...

kabhi ye tanhaii bhi achhi lag jati hai

BK Chowla, said...

Babli, it has been a long time since your post is published.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

hum to aapko yaad kar hee lete hain!

The Straight path said...

महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में !
वाह...
बेमिसाल...
गज़ब...

vandana gupta said...

अरे वाह बबली जी
आज तो गज़ब के भाव भर दिये हैं……………दिल मे उतर गयी।

सदा said...

जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में, बहुत ही सुन्‍दर, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

gaurtalab said...

bahut khub...

KK Yadav said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई.

शिवम् मिश्रा said...

देर आयद दुरुस्त आयद |
लाजवाब प्रस्तुती!

Akanksha Yadav said...

लाजवाब कर दिया आपने..बधाई.

sheetal said...

Bahut hi lamba intezaar karvaya aapne Babli ji, par koi baat nahi,intezaar ka phal bahut hi sundar mila. Kya khub likha aapne bahut hi khubsurat.

Dimple said...

Hello Babli ji,

Waah waah!! Bahut khoob kahi aapne!!

Regards,
Dimple

दिगम्बर नासवा said...

वह.. क्या बात कही है .. ग़ज़ब के शेर ...

पी.एस .भाकुनी said...

सुन्‍दर प्रस्तुती!............

chitra said...

Beautiful lines...I was wondering why no posts from you.

Mithilesh dubey said...

हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुती.....

रवि धवन said...

aewsome again.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

अकेला लगे जब तन्हाई में,
याद मेरी आए जब जुदाई में,
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...
वाह वाह....
शानदार..................

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई.

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

Anonymous said...

hi dear, u have a nice blog..
pls check mine too n share ur thoughts with me.......
thanx

keep bloging..

Deepak Shukla said...

नमस्कार बबली जी...

परछाई मैं देखा कितना...
नज़र न आये मुझको तुम...
मेरी नज़र दूर तक जाकर...
अक्सर होती रहती गुम...

मगर संग तुम रहे हो हरदम..
मेरे संग चले तुम हरदम...
परछाई में मैं तो खुद था...
दिल में मेरे तुम थे हमदम...

दीपक...

अजय कुमार said...

प्यार की गहन अनुभूति

मनोज भारती said...

खूबसूरत ...तन्हाई,जुदाई और निकटता का परछाई में सुंदरतम चित्रण हुआ है ।

Udan Tashtari said...

बहुत दिनों बाद....पुनः स्वागत है.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

ई हुआ न धमाकेदार एंट्री...
बचिया पहिले ई बताओ कि थी कहाँ...बहुत लोग खोज रहा था तुमको...

Rohit Singh said...

लंबी छुट्टी के बाद वापसी शादनार है। बबली जी चार लाइनों में सारी बात कहने का आपका तरीका बड़ा ही
शानदार हैं।
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...

बबली जी अपनी परछाई ही खो गई है। उनको कैसे देखें।


वैसे कहां गईं थी आप छुट्टियों पर औऱ कैसी रही छुट्टियां। ये भी तो बताइए।

Saleem Khan said...

अकेला लगे जब तन्हाई में,
याद मेरी आए जब जुदाई में,
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में !

Saiyed Faiz Hasnain said...

beshak karib ho aap ke mai ......
ek bar fir babli styel post .....

Neeraj Kumar said...

बहुत ही उम्दा पंक्ति है---
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...

अंजना said...

बहुत खूब ...लाजवाब


मेरी कूची और कलम पर आप की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा

Ayaz ahmad said...

अच्छी शायरी

M VERMA said...

बहुत बढिया
परछाईयों से बढिया और बेहतर साथी और कोई नहीं

ajay saxena said...

लाजवाब प्रस्तुती! वो गीत याद आ गया- तू जहां-जहां रहेगा, तेरा साया साथ होगा....

अरुणेश मिश्र said...

हकीकत ।

Sumandebray said...

Bahut Khub..
welcome back .. hope you had a great break

Dr. Tripat Mehta said...

wah wah kya baat hai..jaise dil ki baat uchal kar bahar aa gai hai..

http://liberalflorence.blogspot.com/

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut khoob lazwaab!.in chhoti-chhotishayariyo me aap bahut kuchh kah jaati hain.
poonam

लोकेन्द्र सिंह said...

बहुत खूब
अब महसूस करने से काम नहीं चल रहा.......

daanish said...

प्रभावशाली काव्य ...
हर बार की तरह ही . . .

Anonymous said...

"जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में"
अति सुंदर

ज्योति सिंह said...

bahut dino aana hua magar padhkar sukoon mila ,sundar

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर मुक्तक है!
--
आपको पर्थ की आबो-हवा शुभ हो!

Akanksha Yadav said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.

RAJ SINH said...

बबली ,
अरसे बाद ब्लॉगजगत से जुड़ा और तुम्हारे दर पर न आऊँ ,कैसे हो सकता था .हमेशा की तरह सम्पूर्ण आनद मिला अगला पिछला पढ़ .
अब शायद हमेशा पढूं .
व्यक्तिगत शोक के चलते गायब रहा .

मेरा ब्लॉग पढो तो शायद जान पाओ .
सस्नेह .

Tulsibhai said...

" khoob..sunder ..kya khu is sahyari ke baare me ..lajawab "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Tulsibhai said...

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