अकेला लगे जब तन्हाई में, याद मेरी आए जब जुदाई में, महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं, जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में... वाह वाह.... शानदार..................
बबली , अरसे बाद ब्लॉगजगत से जुड़ा और तुम्हारे दर पर न आऊँ ,कैसे हो सकता था .हमेशा की तरह सम्पूर्ण आनद मिला अगला पिछला पढ़ . अब शायद हमेशा पढूं . व्यक्तिगत शोक के चलते गायब रहा .
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
53 comments:
tanhaai kaisee jab mere hi kareeb thee.
najro se dur thee par dil se gayee kab thee..........Welcome babliji.
हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुती!
a good one indeed
बहुत दिनों बाद आमद हुई है ... बेहतरीन प्रस्तुति ...
Bahut dinon baad likha hai,Babli,aur lajawab...no other words...!!
देर आयद दुरुस्त आयद
kabhi ye tanhaii bhi achhi lag jati hai
Babli, it has been a long time since your post is published.
hum to aapko yaad kar hee lete hain!
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में !
वाह...
बेमिसाल...
गज़ब...
अरे वाह बबली जी
आज तो गज़ब के भाव भर दिये हैं……………दिल मे उतर गयी।
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में, बहुत ही सुन्दर, बेहतरीन प्रस्तुति ।
bahut khub...
बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई.
देर आयद दुरुस्त आयद |
लाजवाब प्रस्तुती!
लाजवाब कर दिया आपने..बधाई.
Bahut hi lamba intezaar karvaya aapne Babli ji, par koi baat nahi,intezaar ka phal bahut hi sundar mila. Kya khub likha aapne bahut hi khubsurat.
Hello Babli ji,
Waah waah!! Bahut khoob kahi aapne!!
Regards,
Dimple
वह.. क्या बात कही है .. ग़ज़ब के शेर ...
सुन्दर प्रस्तुती!............
Beautiful lines...I was wondering why no posts from you.
हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुती.....
aewsome again.
अकेला लगे जब तन्हाई में,
याद मेरी आए जब जुदाई में,
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...
वाह वाह....
शानदार..................
बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई.
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
hi dear, u have a nice blog..
pls check mine too n share ur thoughts with me.......
thanx
keep bloging..
नमस्कार बबली जी...
परछाई मैं देखा कितना...
नज़र न आये मुझको तुम...
मेरी नज़र दूर तक जाकर...
अक्सर होती रहती गुम...
मगर संग तुम रहे हो हरदम..
मेरे संग चले तुम हरदम...
परछाई में मैं तो खुद था...
दिल में मेरे तुम थे हमदम...
दीपक...
प्यार की गहन अनुभूति
खूबसूरत ...तन्हाई,जुदाई और निकटता का परछाई में सुंदरतम चित्रण हुआ है ।
बहुत दिनों बाद....पुनः स्वागत है.
ई हुआ न धमाकेदार एंट्री...
बचिया पहिले ई बताओ कि थी कहाँ...बहुत लोग खोज रहा था तुमको...
लंबी छुट्टी के बाद वापसी शादनार है। बबली जी चार लाइनों में सारी बात कहने का आपका तरीका बड़ा ही
शानदार हैं।
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...
बबली जी अपनी परछाई ही खो गई है। उनको कैसे देखें।
वैसे कहां गईं थी आप छुट्टियों पर औऱ कैसी रही छुट्टियां। ये भी तो बताइए।
अकेला लगे जब तन्हाई में,
याद मेरी आए जब जुदाई में,
महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं,
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में !
beshak karib ho aap ke mai ......
ek bar fir babli styel post .....
बहुत ही उम्दा पंक्ति है---
जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में...
बहुत खूब ...लाजवाब
मेरी कूची और कलम पर आप की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
अच्छी शायरी
बहुत बढिया
परछाईयों से बढिया और बेहतर साथी और कोई नहीं
लाजवाब प्रस्तुती! वो गीत याद आ गया- तू जहां-जहां रहेगा, तेरा साया साथ होगा....
हकीकत ।
Bahut Khub..
welcome back .. hope you had a great break
wah wah kya baat hai..jaise dil ki baat uchal kar bahar aa gai hai..
http://liberalflorence.blogspot.com/
bahut khoob lazwaab!.in chhoti-chhotishayariyo me aap bahut kuchh kah jaati hain.
poonam
बहुत खूब
अब महसूस करने से काम नहीं चल रहा.......
प्रभावशाली काव्य ...
हर बार की तरह ही . . .
"जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में"
अति सुंदर
bahut dino aana hua magar padhkar sukoon mila ,sundar
बहुत सुन्दर मुक्तक है!
--
आपको पर्थ की आबो-हवा शुभ हो!
खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.
बबली ,
अरसे बाद ब्लॉगजगत से जुड़ा और तुम्हारे दर पर न आऊँ ,कैसे हो सकता था .हमेशा की तरह सम्पूर्ण आनद मिला अगला पिछला पढ़ .
अब शायद हमेशा पढूं .
व्यक्तिगत शोक के चलते गायब रहा .
मेरा ब्लॉग पढो तो शायद जान पाओ .
सस्नेह .
" khoob..sunder ..kya khu is sahyari ke baare me ..lajawab "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
" khoob..sunder ..kya khu is sahyari ke baare me ..lajawab "
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