बहुत सुन्दर... नए साल पर दुआ- अम्न हो नये साल हर दिन चैन हो आराम हो शाम जाते साल की सब रंज-ओ-गम की शाम हो आपने देखें हैं जो सपने वो पूरे हों सभी आपका हर आरज़ू हर चाहतों पर नाम हो
pehle to main aapko is post ki badhayi dena chahunga ... bahut hi khoobsoorti se aapne is post ko humare beech rakha jo ki achcha laga or ab me aapse mafi chahta hun ki main aapke blog se kafi time door raha jiski vajah se humare samvaad me fark aaya. kher jo bhi huya ab hum aapko isi tarha padte rahenge or samvaad me rahenge jisse ki hume aage or seediya chadte rehne ka josh or dam milta rahe.
उर्मी जी! आपका श्रंगारिक मुक्तक पढ़ा। चित्र के साथ प्रस्तुति अच्छी है। साधुवाद! इसे इस रूप में भी कहा जा सकता है। --------+--------+--------+--------- "हमसे दूर आप जाओगे कैसे? दिल से हमें भूलाओगे कैसे? हम तो साँसों में बसी खुशबू हैं- साँस को आप रोक पाओगे कैसे?" ======================= कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए। ============================== शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत। गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥ सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
65 comments:
बिल्कुल सही सवाल!! जो साँसों में बसा हो उससे दूर जाना असम्भव होता है!
बहुत बढ़िया बबली!!
बहुत सुंदर जी धन्यवाद
बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति
आपने तो दिल निकाल कर रख दिया है। बहुत ही संवेदनशाल पोस्ट।
बहुत सुन्दर!
behad achhe jazbaat
बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति!
वाह क्या खूब कहा है , सुन्दर अभिव्यक्ति .
बड़ी दिल्लगी से लिखी रचना...मुबारकवाद !!
Waah! Babli! Bahut hee sundar!
बहुत ही खूबसूरत रचना. हम एक बहुत पुराने फ़िल्मी गीत को याद कर रहे हैं जिसमें "ओ दूर जाने वाले, हमना तुम्हें भुलायेंगे" या कुछ ऐसा ही था.
बहुत बढ़िया ,क्या बात है,प्यार में ऐसा ही होता है
हम वो ख़ुश्बू हैं जो..बसते हैं आपकी साँसों में,
ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे?
वाह...बहुत खूब.
फना याद आ रही है।
बढिय़ा
सुंदर, लाजवाब।
bahut khoob ........
बिलकुल दो जिस्म एक जान की तरह
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - सांसद हमले की ९ वी बरसी पर संसद हमले के अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
Beauitful , thanks
really good !
बहुत ही सुन्दर शब्द ।
wah! kya baat hain.
sundar abhivyakti.
बहुत सुन्दर ,लाजवाब।
बसते हैं आपकी साँसों में,
ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे ...
वाह ... क्या बात है ... ग़ज़ब की नज़म ...
अति सुंदर ..शुभकामनायें
बहुत सुंदर मज़ा आएगा ,,...
शुक्रिया आपका...
सुन्दर अभिव्यक्ति.!!
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
BAHUT KHUB
ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे?
बहुत खूब ....
nice poem,
lovely blog.
बढ़िया.
सुंदर भावाभिव्यक्ति !!
नहीं रोक पाएंगे साहब खुद की सांसों को.....
Hi, i just want to say hello to the community
babli ji
Wah!Wah! kya sher likh hai aapne bahut khoob
badhai
poonam
कमाल की पंक्तियाँ , शुभकामनाएं !
bahut hi badiya...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर !
खूबसूरत रचना!
समवाय, अन्योन्याश्रित और एकाकार हों जैसे.
A Merry Christmas to you and your Family !
साँसों को भी भला कोई रोक पाया है?
सुन्दर शेर
Hi Babli ..Long time ..no see.
Bahut Sundar.
आपकी रची कविताओ की माला की हर मोती खूबसूरत है । बहुत सुन्दर भाव । बधाई ।
बहुत ही प्यारी कविता। बधाई।
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अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
बहुत खूब!
बहुत सुन्दर...
नए साल पर दुआ-
अम्न हो नये साल हर दिन चैन हो आराम हो
शाम जाते साल की सब रंज-ओ-गम की शाम हो
आपने देखें हैं जो सपने वो पूरे हों सभी
आपका हर आरज़ू हर चाहतों पर नाम हो
NAYA SAAL 2011 CARD 4 U
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please open it
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/”**I**”/
/ “MISS” /
/ “*U.*” /
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“LOVE”
“*IS*”
”LIFE”
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/ “LIFE” /
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/ “ROSE” /
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“ROSE”
“**IS**”
“beautifl”
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/”beautifl”/
/ “**IS**”/
/ “*YOU*” /
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
bahoot khoob
सच कहा... दिल हमें भूलोगे कैसे!
नव वर्ष की शुभ-कामनाएं...
बहुत खूब ।
pehle to main aapko is post ki badhayi dena chahunga ... bahut hi khoobsoorti se aapne is post ko humare beech rakha jo ki achcha laga or ab me aapse mafi chahta hun ki main aapke blog se kafi time door raha jiski vajah se humare samvaad me fark aaya. kher jo bhi huya ab hum aapko isi tarha padte rahenge or samvaad me rahenge jisse ki hume aage or seediya chadte rehne ka josh or dam milta rahe.
this is such a nice composition.
you are welcome on my blog too....
http://mayassarmini.blogspot.com/
bahut achchi lagi.
bahut badiya.. shukriya share karne k liye..
Please visit my blog.
Lyrics Mantra
Banned Area News
beautiful poem
without comment how you will go away
andar tak chhu gayee babali ji
उर्मी जी!
आपका श्रंगारिक मुक्तक पढ़ा।
चित्र के साथ प्रस्तुति अच्छी है। साधुवाद!
इसे इस रूप में भी कहा जा सकता है।
--------+--------+--------+---------
"हमसे दूर आप जाओगे कैसे?
दिल से हमें भूलाओगे कैसे?
हम तो साँसों में बसी खुशबू हैं-
साँस को आप रोक पाओगे कैसे?"
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कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
Kya baat hai Babli,bahut din ho gaye yahan kuchh likhe? I am missing u!
ek arse baad aama hua hai,vahi tazgi aaj bhi barkarar hai aapke is shayrana bagiche me
घनिष्ठ और सघन आत्मीय अभिव्यक्ति.
घुली-मिली सी नजदीकी.
बहुत खूब लिखा है उर्मी जी जो सांसों में खुशबू सा बसा हो उससे जुदा हो ही नहीं सकते
बधाई
सादर,
अमिता कौंडल
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