उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थीं,
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी,
मन की गहराई में डूबी देखती रही,
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी,
मन की गहराई में डूबी देखती रही,
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
Posted by Urmi at 1:42 AM
39 comments:
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
oh,it's really wonderful,urmi ji.
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
bahut hi shandar ..rachana sister balki mai to kahunga ki
सीप में मोती से महँगी aapki ye rachana hai !
umda
Lajawab kar diya aapne.
............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।
ख़ूबसूरत जज़बात !
बहुत खूबसूरत शब्द रचना ।
मन की गहराई में डूबी देखती रही,
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
Wah! Kya baat hai Babli!
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
wah! loving lines.
थोड़े और सुंदर शब्दों में बहुत उम्दा रचना.
उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थीं,
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी,
मन की गहराई में डूबी देखती रही,
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
...wonderful...
वाह ....मन को छू गयीं पंक्तियाँ
लाजवाब पंक्तियाँ ...!
बहुत उम्दा मुक्तक!
Like everybody else i am impressed by your line -सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी .
मुक्तक के चारों मिसरे उम्दा हैं
बहुत अच्छे से अपनी बात को पेश किया है बबली जी. बधाई.
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
bahut khoob kahi ,happy mothers day
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें.....
सुन्दर उपमा की सुन्दर कविता के लिए बधाई...
उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थीं,
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी,
क्या बात हे, यह तो हजारो दिल की बात होगी जी, धन्यवाद
आप की लिखे यह ४ लाइनों के शायरों का सदा इंतज़ार रहता है. आप गागर में सागर भा कर लाती है ..क्या लिखा है -
यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी,
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
यह दो लाइनों में आप ने बहुत कुछ कह दिया
आशु
I have come to your blog posts after a gap of few weeks.I enjoyed every bit written here
bahut hee khoobsurat sher
khoobsoorat khyal
बहुत सुन्दर रचना ..बधाई.
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पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
wah.kya upma di hai.
यादों का कारवाँ है ये
सुन्दर
बिल्कुल सही कहा आपने, अतीत को याद करना यानी खुद से मुलाकात करना है।
बेहतरीन पंक्तियां।
bahut sundar
bahut khoob...
kabhi mere blog par b aayen ..achchha lagega ..cmnt ke liye nahi ..aise hi..
सिर्फ एक शब्द लाजवाब |
प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
bahut bahut khub:)
बहुत सुन्दर...
इस भावभीनी ह्रदयस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई.
बहुत सुंदर!
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी.
सुंदर भाव युक्त शेर. बधाई.
Bahut khoob.
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी
badhai
हमेशा ही की तरह
बहुत बढ़िया !
कम शब्दों में
गहरी बात !!
बहुत बढिया बात कही है आपने उर्मि जी इन चार पंक्तियों में ॥ बधाई स्वीकारें:)
सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी !
वाह!खूबसूरत
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुंदर ...हृदयस्पर्शी रचना
बहुत सुन्दर ह्रदयस्पर्शी रचना| धन्यवाद|
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