वाह बबली जी, बहुत अच्छा लिखा है माजिद देवबंदी का एक शेर याद आ गया, आपको भी अच्छा लगेगा- तेरे पास आके हंसाऊंगा तुझे मैं लेकिन जाते जाते तेरी पलकों को भिगो जाऊंगा.
तन्हाई और बरसात का वाक़ई बड़ा खूबसूरत साथ होता है.आपने इसे अपनी संक्षिप्त कविता में इसे बखूबी चित्रित भी किया है.मुझे किसी का एक बढ़िया सा शेर याद आ रहा है,आपको भी सुनाता हूँ:- मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ जाओ. वो बरसों में बरसती है ये बरसों से बरसती है.
hamari khoyi khoyi aankhen madhosh tumhe karti hain. bheegti hain jo ye tanhai main, saath ko tumhare tarasti hain. jaanti hain ye, ki, aas na iski hogi puri, fir bhi ye har pal, raah tumhari takti hain.
Urmi ji aapne sundar sher likha, acchha laga padh ke. kya baat hain aajkal tanhai ka jikr kuch jyaada hain.
मदहोश और होता है,बारिश दूसरा झेलता है ! --- बडी ना इन्साफ़ी है जी... जब मदहोश कर ही दिया तो फ़िर तनहाई कैसी....कोई एक ही मदहोश थोडे ही होता है....आग दोनों ओर बराबर लगती है मदहोशी में....अब दिन की मदहोशी इतनी भी बेगैरत नहीण कि रात तक खुमार उतर जाय....
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
46 comments:
बहुत भावप्रणव मुक्तक लिखा है आपने!
bahut khoob.very nice.
बहुत बढ़िया
वाह बबली जी, बहुत अच्छा लिखा है
माजिद देवबंदी का एक शेर याद आ गया, आपको भी अच्छा लगेगा-
तेरे पास आके हंसाऊंगा तुझे मैं लेकिन
जाते जाते तेरी पलकों को भिगो जाऊंगा.
बहुत बढ़िया अच्छा है....
वाह!
सुंदर पक्तियां..........
आँखों की दो भावों की छवियाँ एक साथ. बहुत सुंदर बन पड़ा है.
बहुत बहुत बहुत बढ़िया
behad masoom!!
वाह ……………बहुत सुन्दर लिखा है
मदहोश और होता है,बारिश दूसरा झेलता है !
bahut khoob likha aapane
and pic bhi aapane banaya ya fir kisi site se lia hain
Bahut,bahut sundar,Babli!
:)
bahut sunder
sundar lines.
क्या बात हे...
आँखें भी दोहरी जिंदगी जीती हैं ! बहुत खूब ।
क्या बात हे बहुत अच्छा ....
भावनाओं से जुडी आँखों की यही विशेषता है |
चार पंक्तियों में कितनी सुन्दरता से भावों को पिरोया है आपने. बुत खूब
अमिता कौंडल
Intense and beautiful :)
waah kya baat hai....
Awesome.
तन्हाई और बरसात का वाक़ई बड़ा खूबसूरत साथ होता है.आपने इसे अपनी संक्षिप्त कविता में इसे बखूबी चित्रित भी किया है.मुझे किसी का एक बढ़िया सा शेर याद आ रहा है,आपको भी सुनाता हूँ:-
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ जाओ.
वो बरसों में बरसती है ये बरसों से बरसती है.
प्रतीक्षारत आंखें पथरा जाने के बाद बरसनी शुरू हो जाती है
nice
हृदयस्पर्शी...भावपूर्ण पंक्तियां...
हार्दिक बधाई.
आप की शायरी का अंदाज बहुत सुन्दर लगा ….सुन्दर भावपूर्ण शायरी… धन्यवाद
Babli ji
aap mere blog par aai shukriya..par tipani karne ke liye dhanyavaad mat kariyega...
आँखें ...मदहोशी...रातें...तन्हाई और इनका बरसना। बहुत खूब गागर में सागर भर दिया है बबली जी !!!
खुबसूरत अहसास .
hamari khoyi khoyi aankhen madhosh tumhe karti hain.
bheegti hain jo ye tanhai main,
saath ko tumhare tarasti hain.
jaanti hain ye, ki, aas na iski hogi puri,
fir bhi ye har pal, raah tumhari takti hain.
Urmi ji aapne sundar sher likha,
acchha laga padh ke.
kya baat hain aajkal tanhai ka jikr kuch jyaada hain.
वाह, बहुत जानदार पंक्तियां।
आंखों की व्यथा को खूबसूरत शब्दों में ढाला है आपने।
Dhoka diya tha jab tum ne mujhe,
Dil se main naraaz tha,
Phir socha ki dil se tumhe nikal dun,
Magar woh kambakth dil bhi tumhare paas tha.....
Chand lamhon ki zindagani hai, nafraton se jiya nahi karte,
lagta hai dusamanon se guzarish karni padegi, dost to aab yaad kiya nahi karte
वाह .. बहुत ही खूबसूरत शब्द रचना ।
बहुत ही भावनात्मक पंक्तियाँ ! कम शब्दों में आपने बहुत कुछ कह दिया ...
क्या बात है, बहुत ही सुन्दर.
कम शब्दों में बेहतरीन मुक्तक ...
आंखों का शब्दचित्र बहुत मोहक बना है ,वैसा ही चित्र भी है जो भावों की सही व्यंजना करता है ।
lovely lines babli ji
मदहोश और होता है,बारिश दूसरा झेलता है !
--- बडी ना इन्साफ़ी है जी... जब मदहोश कर ही दिया तो फ़िर तनहाई कैसी....कोई एक ही मदहोश थोडे ही होता है....आग दोनों ओर बराबर लगती है मदहोशी में....अब दिन की मदहोशी इतनी भी बेगैरत नहीण कि रात तक खुमार उतर जाय....
आदरणीय बहनश्री,
आपका भाव जगत सराहनीय है और शब्द का चयन भी सरल-मोहक और दिल को सीधा छूनेवाला है..!!
आपको बहुत बहुत बधाई है।
आपके ब्लॉग पर मैं अक्सर आता रहता हूँ और बहुत आनंद आता है।
धन्यवाद।
मार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
shandar abhivyakti
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