ye mohabbat badi confusing cheez hain. is situation par film Rangeela ka ye geet yaad aata hain. 'kya kare,kya na kare ye kaisi mushkil hai,koi to bataye iska hal o mere bhai.....haha.:) bahut sundar likha aapne.
न जाने ये कैसी है उलझन, न जाने ये कैसी है जुस्तजू, जो कभी नहीं मिल सकता हमें, क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू ! -ऐसा ही होता है जीवन में कि जो मिलना मुश्किल है , उसी को पाने के लिए मन में लालसा जग जाती है । इसी लालसा में जीवन का प्रवाह बना रहता है । सुन्दर प्रस्तुति !
जो कभी नहीं मिल सकता हमें, क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू !
आरजू या चाहत बहुत महत्वपूर्ण है .कहा गया है 'जा का जाहि पर सत्य सनेहू,ता उसे मिलहि न कुछ संदेहू'.सच्ची लगन,स्नेह या चाहत ही भक्ति है.मैं अगली पोस्ट इसी विषय पर लिखने की कोशिश करूँगा.
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
39 comments:
मन की व्यथा पर लिखा गया सुन्दर अशआर!
बेहतरीन!
सादर
वाह .. बहुत ही अच्छी पंक्तियां ।
ये आरजू ...ही तो बन जाती है दिल की लगी
जो सोने नहीं देती और किसी का होने भी नहीं देती
सुन्दर ...अप्राप्य के पीछे भागना मानव की कमज़ोरी है और वही उसकी प्रगति दायक शक्ति....
ऐसा ही होता है .. जो नही मिलता कदर उसकी ही होती है ...
bahut khoob kaha aapane
jo aasani se mil jaye us cheez ka maja bhi to nahi hain
nice dear
nice dear.visit on http://dil-e-naadan.blogspot.com/
Jo nahee mil sakte,aarzoo unheen kee rahtee hai!
Babli, are the paintings made by you?They are simply wonderful!
जो मिल गया उसके लिए कौन सोचता है ? खूबसूरत पंक्तियाँ
जो कभी नहीं मिल सकता हमें,
क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू !
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...
यही तो विडम्बना है!!
मनवा न माने!.
कशिश है...
ये उलझन और ज़ुस्तज़ू तो सिर्फ साकी हैं
आरज़ू सिर्फ उन्हीं की,मिलन की प्यास बाकी हैं
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी है!
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण|
Bahut hee sundar!
आरजू से शायद मिल भी जाये
कम शब्दों में मन की व्यथा ...बहुत सुन्दर
आशु
अच्छी पंक्तियाँ.
kya baat hai....khoobsurat sher
bahut hi sunder shabdon main likhi dil ke udgaaron ko ujaager karti hui pyaari si najm.badhaai aapko.
चाँद शब्दों में गहरे अल्फाज़ ...!!
ब्लागर में सागर |
सोलह शब्दों के नागर ||
ye mohabbat badi confusing cheez hain.
is situation par film Rangeela ka ye geet yaad aata hain.
'kya kare,kya na kare ye kaisi mushkil hai,koi to bataye iska hal
o mere bhai.....haha.:)
bahut sundar likha aapne.
बेहद मर्मस्पर्शी...
बहुत ही अच्छी पंक्तियां ।
बात तो सही है और सच भी ।
सुन्दर ... सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर शब्द ।
kya kahun////
bahut acchi kavita hai
aapki aap log mere blog bhi aaye
my blog link- "samrat bundelkhand"
khoobsurat rachna
_______________________________
मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||
राजनेता - एक परिभाषा अंतस से (^_^)
ज़िंदगी में ऐसा ही होता है,
गहरे भावों वाली सुंदर पंक्तियां।
kya karen ..aisa hi hota hai aksar ..usi ki tlash rahti hai ..jo nahi milta ....
कम शब्दों में मन की व्यथा. बहुत ही अच्छी पंक्तियां.
न जाने ये कैसी है उलझन,
न जाने ये कैसी है जुस्तजू,
जो कभी नहीं मिल सकता हमें,
क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू !
-ऐसा ही होता है जीवन में कि जो मिलना मुश्किल है , उसी को पाने के लिए मन में लालसा जग जाती है । इसी लालसा में जीवन का प्रवाह बना रहता है । सुन्दर प्रस्तुति !
जो कभी नहीं मिल सकता हमें,
क्यूँ है सिर्फ़ उन्हीं की आरज़ू !
आरजू या चाहत बहुत महत्वपूर्ण है .कहा गया है
'जा का जाहि पर सत्य सनेहू,ता उसे मिलहि न कुछ संदेहू'.सच्ची लगन,स्नेह या चाहत ही भक्ति है.मैं अगली पोस्ट इसी विषय पर लिखने की कोशिश करूँगा.
Post a Comment