आज फिर तेरी याद आ गयी बारिश को देखकर,
आँसूं भी ढल उठे हैं अपनी बेबसी को देखकर,
छम-छम बरस उठा मेरे नैनों से खारा जल,
बारिश भी सिहर उठी मेरी बारिश देखकर !
आँसूं भी ढल उठे हैं अपनी बेबसी को देखकर,
छम-छम बरस उठा मेरे नैनों से खारा जल,
बारिश भी सिहर उठी मेरी बारिश देखकर !
35 comments:
बारिश पर खूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
अतिश्योक्ति अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है.
बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर !
वाह.
वाह!
"बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर"
वाह
बारिश पर खूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
Nice expression !
उफ़ ये बारिश.
just a word "lazwaaabbbbbbbbb"
bahut sundar likha aapne.
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
Very Nice
वाह वाह..क्या बात है।
बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर !
वाह..बहुत खूब....
रोयी इस कदर तेरी याद में...
के बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर !
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी खूबसूरत रचना ....
नयापन लिए --सुन्दर प्रस्तुति ।
बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर !
वाह क्या कहने ...इस बारिश के ...!
बहुत खूब ...
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!
बहुत बेहतरीन!!!
wah wah...awesome..lovely couplets
bahut sundar ...
I have been following Chhandik for quite sometime now .. thanks 1
बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर !
शानदार है
maza aa gaya aapki 4 lines padh kar..!
बारिश हे दोनों ही चित्र बहुत ही खूबसूरत.
आह! उसकी याद भी क्या हद कर रही है
नैनों की बरसात से ही बारिश को 'सिहरा'रही है.
काश! प्रियतम से सुखद मिलन हो
तो बारिश की 'सिहरन' भी खत्म हो.
अब कुछ आगे आप लिखियेगा बबली जी.
बस, बारिश को थमने न दीजियेगा.
नहीं तो सूखा पड़ जायेगा.
आप मेरे ब्लॉग पर आकर अपनी उदारता की बरसात करतीं हैं,तो मन भीग भीग जाता है.हृदय से आभारी हूँ आपका.
bahuth aacha raha aap ke kavitha
is vay au versha ka rishta,
kya fir se ho paayega?......
tum jab se door gai ho raadhe
man-van-upvan sb vyakul hai..
tera rup salona lakhne ko ye pyasa darpan, nain bade hi vyaakul hain..
......
man-aangan bhigo jaati hain teri baaten..
roj sirhaane rahti hai gujri raaten...
"बारिश भी थम गयी मेरी बारिश देखकर"
बहुत खूब. बधाई.
बारिश भी सिहर उठी मेरी बारिश देखकर
.
.
.
सावन में प्रियतम की याद सहसा ही आ जाती है। लेकिन उसके विरह से हम बेबस हो जाते हैं और भावनाएँ आखों से आँसू बन झर पड़ती हैं...जो भावनाएँ हमारे प्रियतम तक पहुँचनी चाहिए थी वे आँसू बन छम-छम बरसती हैं...इस भावनाओं के अतिरेक को देख कर बारिश का सिहर जाना कोई अतिश्योक्ति नहीं...बल्कि मैं तो उठती हुई घटाओं से कहूँगा कि वे ऐसे प्रिय-प्रितम की भावनाओं को संप्रेषित कर उनकी विरह की ज्वाला को ठंडा करें।
बहुत सुंदर भावमयी अभिव्यक्ति ।
वाह बहुत खूब ... बढ़िया भाव है !
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
bahut accha
babli ji
shubhan allah----
kya khoob sher likhe hain barish par aur apne antarman ko bhibakhoobi prastut kiya hai.
badhai
poonam
ghajab ki lines.
wonderful..
Post a Comment