आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने अनमोल संदेशों के द्वारा हमारा उत्साह बढाइये/आप हिंदी की सेवा इसी तरह अपने मेहनत और लगन से लिखी गई रचनाओं द्वारा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक नीचे दिया गया है / http://hbfint.blogspot.com/2011/11/19-happy-islamic-new-year.html
tabiyat nasaj thi..kaphi dino tak aapki behtarin shayriyon ka lutf nahi utha paaya..behtain dil ko choo lene wali panktiyan..baise char panktiyon me bhavon ko dilkash andaj me pesh karne me to aapne maharat hasil kar lee hai..sadar badhayee aaur amantran ke sath
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
35 comments:
Jisko jindagi samajh liya use bina jeena mushkil hi hota hai ... Lajawab sher hai ...
बेहद उम्दा शेर ... जय हो !
nice wording
I have added 2 lines to this,not to offend u justcould not stop myself
toon mil jo jaaye to khushkismat kahlaayenge
waah waah ............vahi rang..vahi andaaz....kya baat hai !!!!
na aap badle, na hi aapki shaayri........
you are zindabaad !
बेहद शानदार .....!
बहुत खूब! Very nice..
बडी शिद्दत से दिल की बात कही है………बहुत सुन्दर्।
bahot achchi.......
बहुत खूब लिखा आपने
जिंदगी भले ही रूठे तू न रूठ जाना,
तेरे बिन हम नहीं जी पायेगे हम|बधाई ...
नई पोस्ट में स्वागत है
Waah Babli Ji waah...
Neeraj
खूबसूरत तस्वीर से मैच करते सुन्दर उदगार .
umdaa......bahut khub
adhura satya... kisi k bina jindagi nahi rukti... waise panktiyaan khubsurat hai...
प्रेम की भावना की सुंदर अभिव्यक्ति.
beautiful...
Wow!
love it!!! too good!
क्या बात है... वाह!
सादर...
शानदार, जानदार. क्या बात है....
बहुत खूब!
चंद शब्द और गहरे अहसास ...
तुझे हर लम्हा चाहेंगे हम ,मुकद्दर अपना आजमाएंगे हम .सुन्दर प्रस्तुति .
bahut khoob
ज़िन्दगी भले ही रूठे तू न रूठ जाना
बहुत खूब
beautiful lines.....!!!
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने अनमोल संदेशों के द्वारा हमारा उत्साह बढाइये/आप हिंदी की सेवा इसी तरह अपने मेहनत और लगन से लिखी गई रचनाओं द्वारा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक नीचे दिया गया है /
http://hbfint.blogspot.com/2011/11/19-happy-islamic-new-year.html
बहुत प्यारी बात कह दी है उर्मि जी -
ज़िन्दगी भले ही रूठे तू न रूठ जाना,
तेरे बिन न जी पायेंगे हम !
-प्रिय का रूठना ही सबसे दुखद होता है
tabiyat nasaj thi..kaphi dino tak aapki behtarin shayriyon ka lutf nahi utha paaya..behtain dil ko choo lene wali panktiyan..baise char panktiyon me bhavon ko dilkash andaj me pesh karne me to aapne maharat hasil kar lee hai..sadar badhayee aaur amantran ke sath
सुंदर अभिव्यक्ति !बहुत खूब
ज़िन्दगी भले ही रूठे तू न रूठ जाना,
तेरे बिन न जी पायेंगे हम।
बेहतरीन पंक्तियां।
जो सुनेगा दास्ताँ मेरे दिल-ए-बर्बादी की,
हर चेहरा हो जायेगा गुमसुम, हर आँखें नम होगी,
तुझ बिन जीने की सजा क्या मौत से कम होगी .
babali जी पहली दफा aya , अच्छा लगा
तुझे अपना मुकद्दर बनायेंगे हम,
तेरे संग हर लम्हा बितायेंगे हम,
ज़िन्दगी भले ही रूठे तू न रूठ जाना,
तेरे बिन न जी पायेंगे हम !
खूबसूरत हैं अश आर आपके .
वाह ..आहूत खूब
कम शब्दों में गहरी अभिव्यक्ति!!
वाह ...बहुत खूब।
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