तेरे इंतज़ार में ये नज़रें झुकी है,
तेरे चेहरे की झलक देखने की आस है,
न जानूँ तेरा नाम, न तेरा पता,
पर दिल में अनजानी सी बेचैनी जगी है !
तेरे चेहरे की झलक देखने की आस है,
न जानूँ तेरा नाम, न तेरा पता,
पर दिल में अनजानी सी बेचैनी जगी है !
Posted by Urmi at 10:39 PM
29 comments:
बेहतरीन। इसे पढ़कर अपनी नयी गजल का एक शेर अर्ज कर रहा हूँ, 'वो इस शहर में नये आये हैं रहने के लिये, कैसे भी करके जरा उनका पता दो यारों।'
बहुत सुंदर...
वाह ...बहुत ही बढि़या।
Namaskar ji...
Tera naam pata na jaanu...
Tujhko na hi dekha hai...
Mera tan man fir bhi tere...
Naam ke sang hi dhadka hai...
Sundar bhav..
Deepak Shukla..
bahut sunder ...
Lovely language of love. Really sublime poem!
अन्जाने प्यार का सुन्दर इंतजार ।
na dekha hain tujhko kabhi,
na jaana kabhi tera naam pata,
ye kaisi anjaani kashish hain,
jisne baichan kiya hain mujhe is
tarah.
accha likha hain aapne.
बबली जी,..
बहुत खूब..लिखा आपने..बेहतरीन पोस्ट,..
हम नजरों से दूर,आँखों से नही
हम ख्वाबो से दूर,ख्यालों से नहीं
हम दिल से दूर, धड़कन से नही
हम आपसे दूर,आपकी यादों से नहीं...
Behad sundar rachana....hamesha kee tarah!
ये दिल भी क्या क्या गजब ढहा देता है जी.
नाम पता न होने से बेचैनी का होना तो
लाजमी ही है.
बहुत ही सुन्दर शायरी है आपकी.
मेरे ब्लॉग पर आकर आपने सुन्दर टिपण्णी की,
इसके लिए आभार आपका.
समय मिले तो हनुमान जी पर अपने और
भी विचार और अनुभव प्रस्तुत कीजियेगा.
सुन्दर चित्र के साथ खुबसूरत रचना....
very nice..
keep up the good work!
generally you shiyari..is very simple yet close to emotions and reality!
किसी 'अंजान' की प्रतीक्षा का सुंदर चित्रण. भावपूर्ण पंक्तियाँ.
atyant sundar
Waah kya baat hai bahut sunder.
Ajnabi tum jane pehchane se lagte ho..
sundar rachna
भाई क्या कहें इस शेर के बारे में.. बस कोई याद आ गया
बहुत बढ़िया मुक्तक लिखा है आपने!
बहुत खूब
खुबसूरत रचना
बहुत ही बढि़या.
Bahut khoob!
Bahut khoob!
वाह जी बल्ले बल्ले
खूबसूरत पंक्तियां, खूबसूरत भाव।
intzaar hai ,thaa ,rahegaa,
jinkaa hotaa hai kabhee
khatm nahee hotaa
बहुत खूब ... बस देखने की आस ही है जो बैचेनी जगा देती है ... उम्दा शेर है ..
Bahut,bahut khoobsoorat!
Post a Comment